भगवान परशुराम आरती

भगवान परशुराम आरती

॥ श्री परशुराम आरती ॥

ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।

सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी॥

ॐ जय परशुधारी...॥

जमदग्नी सुत नर-सिंह, मां रेणुका जाया।

मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया॥

ॐ जय परशुधारी...॥

कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।

चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला॥

ॐ जय परशुधारी...॥

ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।

सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी॥

ॐ जय परशुधारी...॥

मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।

दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना॥

ॐ जय परशुधारी...॥

कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।

कंध चाप-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता॥

ॐ जय परशुधारी...॥

माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।

मेरी बिरद संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे॥

ॐ जय परशुधारी...॥

अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।

'पूर्णेन्दु' शिव साखि, सुख सम्पति पावे॥

ॐ जय परशुधारी...॥

आज का ज्योतिषीय विचार

“कर्म और ग्रह दोनों जीवन को गढ़ते हैं।”

— पंडित जगन्नाथ