श्री लक्ष्मीनारायण आरती

श्री लक्ष्मीनारायण आरती

॥ श्री लक्ष्मीनारायण आरती ॥

जय लक्ष्मी-विष्णो। जय लक्ष्मीनारायण,

जय लक्ष्मी-विष्णो। जय माधव, जय श्रीपति,

जय, जय, जय विष्णो॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

जय चम्पा सम-वर्णे जय नीरदकान्ते।

जय मन्द स्मित-शोभे जय अदभुत शान्ते॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

कमल वराभय-हस्ते शङ्खादिकधारिन्।

जय कमलालयवासिनि गरुडासनचारिन्॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

सच्चिन्मयकरचरणे सच्चिन्मयमूर्ते।

दिव्यानन्द-विलासिनि जय सुखमयमूर्ते॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

तुम त्रिभुवन की माता, तुम सबके त्राता।

तुम लोक-त्रय-जननी, तुम सबके धाता॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

तुम धन जन सुख सन्तित जय देनेवाली।

परमानन्द बिधाता तुम हो वनमाली॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

तुम हो सुमति घरों में, तुम सबके स्वामी।

चेतन और अचेतन के अन्तर्यामी॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

शरणागत हूँ मुझ पर कृपा करो माता।

जय लक्ष्मी-नारायण नव-मन्गल दाता॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

आज का ज्योतिषीय विचार

“कर्म और ग्रह दोनों जीवन को गढ़ते हैं।”

— पंडित जगन्नाथ