भगवान ब्रह्मा आरती

भगवान ब्रह्मा आरती

॥ आरती श्री ब्रह्मा जी ॥

पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।

जिनके कुछ और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो।

सब भाँति सदा सुखदायक हो, दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

प्रतिपाल करो सिगरे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो।

भुलि हैं हम तो तुमको, तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

उपकारन को कछु अन्त नहीं, छिन ही छिन जो विस्तारे हो।

महाराज महा महिमा तुम्हरी, मुझसे बिरले बुधवारे हो।

शुभ शान्ति निकेतन प्रेमनिधि, मन मन्दिर के उजियारे हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो, इन प्राणन के तुम प्यारे हो।

तुम सों प्रभु पाय 'प्रताप' हरि, केहि के अब और सहारे हो।

आज का ज्योतिषीय विचार

“कर्म और ग्रह दोनों जीवन को गढ़ते हैं।”

— पंडित जगन्नाथ