आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: 'नौ रातों का रहस्य'
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह नवरात्रि आषाढ़ मास में पड़ती है और इसे गायत्री नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान, देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, लेकिन यह पूजा 'गुप्त' तरीके से की जाती है। इन दिनों में तंत्र विद्या का विशेष महत्व होता है और इस समय की गई साधना जन्मकुंडली के सभी दोषों को दूर करने वाली मानी जाती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ की जाती है।
- कलश स्थापना: एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर देवी मां की मूर्ति रखें। शुभ स्थान पर कलश स्थापित करें, जिसमें गंगाजल, बतासे, दूर्वा और साबुत हल्दी की गांठ डालें। कलश को आम या अशोक के पत्तों से सजाएं।
- पूजा और मंत्र जाप: नौ दिनों तक देवी मां की आरती करें और पूजा करें। प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती और देवी भागवत का पाठ करें। ‘ऊँ दुं दुर्गायै नम:’ मंत्र का जाप करें।
- आसन और दिशा: पूजा के लिए कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें।
- तामसिक भोजन से बचें: व्रत के दौरान ऐसा भोजन न करें, जिसे पचने में ज्यादा समय लगता है।
व्रत और उपवास के लाभ
आयुर्वेद के अनुसार, व्रत और उपवास से शरीर को कई लाभ होते हैं। लंघन (उपवास) करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है, जिससे बीमारियां दूर रहती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नवरात्रि के दिनों में अन्न का त्याग करने से आलस नहीं आता और मन पूजा-पाठ में लगा रहता है। इस तरह व्रत करने से धार्मिक लाभ के साथ-साथ सेहत को भी फायदा होता है।
गुप्त नवरात्रि में करें ये शुभ कार्य
गुप्त नवरात्रि का समय बहुत ही शुभ माना गया है। इन दिनों में आप ये शुभ कार्य कर सकते हैं:
- मंत्र जाप और पाठ: देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- नदी स्नान और दान: आषाढ़ मास में नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व है।
- देवी-देवताओं की पूजा: देवी पूजा के साथ-साथ गणेश जी, शिव-पार्वती और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की भी विशेष पूजा करें।
- दान-धर्म: जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े और भोजन का दान करें।
- सूर्य को अर्घ्य: सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें।