वैदिक मंत्र: समस्याओं का समाधान करने के लिए शक्तिशाली उपाय
वैदिक मंत्र (Vedic Mantra) वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का एक प्रमुख साधन है। यह सिर्फ शब्दों का एक समूह नहीं है, बल्कि ध्वनि और कंपन का एक संयोजन है जो व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ जोड़ता है। आइए, इस लेख में हम मंत्रों की शक्ति, उनके लाभ और समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न प्रकार के मंत्रों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् |
विष्णु गायत्री मंत्
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाये धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् |
लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ महादेव्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् |
नारायण गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो नारायणः प्रचोदयात् |
कृष्णा गायत्री मंत्र
ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्णः प्रचोदयात् |
शिव गायत्री मंत्र
ॐ महादेवाय विद्महे रुद्र मूर्तये धीमहि, तन्नो शिवः प्रचोदयात् |
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात् |
ब्रह्म गायत्री मंत्र
ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम्। ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् । ॐ आपो ज्योति रासोsमृतं ब्रह्म भूर्भुवः स्वरोम् ।।
सर्व शांति हेतु
।।ॐ भूर्भवः स्वः ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि ॐ धियो यो नः प्रचोदयात् ॐ।।
विद्या प्राप्ति हेतु
।। ऐं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि ऐं धियो यो नः प्रचोदयात् ऐं ।।
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु
।।श्रीं भूर्भवः स्वः श्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि श्रीं धियो यो नः प्रचोदयात् श्रीं।।
कामना सिद्धि हेतु
।।ह्रीं भूर्भवः स्वः ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि ह्रीं धियो यो नः प्रचोदयात् ह्रीं ।।
वशीकरण हेतु
।।क्लीं भूर्भवः स्वः क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि क्लीं धियो यो नः प्रचोदयात् क्लीं।।
शत्रुनाश हेतु
।।क्रीं भूर्भवः स्वः क्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि क्रीं धियो यो नः प्रचोदयात् क्रीं।।
लक्ष्मी मंत्र
लक्ष्मी मंत्र १
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
लक्ष्मी मंत्र २
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
लक्ष्मी मंत्र ३
ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
महालक्ष्मी मंत्र
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
लक्ष्मी बीज मंत्र
।।ॐ श्रीं श्रियें नमः ।।
ज्येष्ठ लक्ष्मी मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ज्येष्ठ लक्ष्मी स्वयम्भुवे ह्रीं ज्येष्ठायै नमः ।।
महालक्ष्मी यक्षिणीविद्या मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीन महालक्ष्म्यै नमः ।।
श्री लक्ष्मी नृसिंह मंत्र
।। ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।। ।। ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।
एकादशाक्षर सिध्दा लक्ष्मी मंत्र
।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिध्द लक्ष्म्यै नमः ।।
द्वादशाक्षर महालक्ष्मी मंत्र
।। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौ: [ ___ ] जगात्प्रसुत्यै नमः ।।
सरस्वती मंत्र
सरस्वती ध्यान मंत्र
ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम् । हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ ।।
सरस्वती बीज मंत्र
ऐं ।
सरस्वती मंत्र १
ॐ ऐं नमः |
सरस्वती मंत्र २
ॐ ऐं क्लीं सौः |
महासरस्वती मंत्र
ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः |
सरस्वती मंत्र ज्ञान प्राप्ति के लिए
वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ।
सरस्वती मंत्र बुद्धिमत्ता बढ़ाने के लिए
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः ।
सरस्वती मंत्र संपत्ति और विद्या के लिए
ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम् कारी वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा ।
कुशायक्षिणी मंत्र
।।ॐ वाड्.मयायै नमः ।।
उदुम्बर यक्षिणी मंत्र
।।ॐ ह्रीं श्रीं शारदायै नमः ।। ।।ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः ।। ।।ॐ ह्रीं वेद मातृभ्य: स्वाहा।।
विद्याप्रद गोपाल मंत्र
।।ऐं क्लीन कृष्णाय ह्रीं गोविन्दाय श्रीं गोपीजन बल्लभाय स्वाहा सौ :।।
विद्या गोपाल मंत्र
कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद में । रमा रमण विश्वेश ,विद्या माशु प्रयच्छ में ।।
बगलामुखी मंत्र
माता बगलामुखी मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।
Mata Bagalamukhi Mantra for Sarva Karya Siddhi
ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।
संतान गोपाल मंत्र
संतान गोपाल मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।
संतान प्राप्ति मंत्र
ॐ नमो भगवते जगत्प्रसूतये नमः ।
श्री कृष्ण मंत्र संतान प्राप्ति के लिए
ॐ क्लीं गोपालवेषधराय वासुदेवाय हुं फट स्वाहा ।
कात्यायनी मंत्र
कात्यायनी मंत्र -१
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥
पार्वती मंत्र विलम्बित विवाह के लिए
हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया । तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम ॥
सूर्य मंत्र विलम्बित विवाह के लिए
ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि । विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे ॥
कात्यायनी मंत्र
।।ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ।। ।। ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ।।
विवाह हेतु मंत्र
ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीस्वरि ।नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः ।।
विवाह हेतु मंत्र
हे गौरी _____ । यथा त्वं शंकरप्रिया । तथा माँ कुरु कल्याणि।कान्त कांता सुदुर्लभाम्।।
विवाह हेतु मंत्र
ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि। विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ।।
विवाह हेतु मंत्र
ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
शिव मंत्र
शिव मंत्र (पंचाक्षरी)
ॐ नमः शिवाय ।
रुद्र मंत्र
ॐ नमो भगवते रूद्राय ।
शिव गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात ।
शिव ध्यान मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं । विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ ह्रौं जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् भूर्भुवः स्वरों जूं सः ह्रौं ॐ ।।
मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम्, उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ।
एकाक्षर मृत्युंजय मंत्र
ह्रौं |
त्रयाक्षर मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं सः |
चतुराक्षर मृत्युंजय मंत्र
ॐ ह्रौं जूं सः |
नवाक्षर मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं सः "पालय-पालय" |
हनुमान मंत्र
हनुमान मंत्र - 1
ॐ हं हनुमते नमः
हनुमान मंत्र - 2
हं पवन ननदनाय स्वाहा |
हनुमान मंत्र - 3
हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् |
हनुमान मंत्र - 4
ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा |
हनुमान मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंकाविध्वंसनाय अंजनी गर्भ संभूताय शाकिनी डाकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलिकिलि बुबुकारेण विभिषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं हौं हाँ फट् स्वाहा।।
आत्मोन्नति रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे ,महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ।।
रूद्र मंत्र
ॐ अघोरेभ्योsथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्य:। सर्वेभ्य: सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रूद्र रुपेभ्य:।। ॐ नमो भगवते रुद्राय ।।
त्वरित रूद्र मंत्र
।।ॐ यो रुद्रोsन्गौ योsप्सुय ओषधीषु यो रुद्रो विश्वाभुवना-विवेश तस्मै रुद्राय नमोsस्तु।।
लघु मृत्युंजय मंत्र
।।ॐ ह्रौं जूं सः ।।
दशाक्षरी मंत्र
।।ॐ जूं सः मां पालय-पालय ।।
द्वादशाक्षरी मंत्र
।। ॐ जूं सः मां पालय-पालय सः जूं ॐ ।।
महामृत्युंजय मंत्र
।।ॐ ह्रौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् । उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् भूर्भुवः स्वरों जूं सः ह्रौं ॐ ।।
वास्तु मंत्र
वास्तु वैदिक मंत्र (वास्तु पुरुष मंत्र)
नमस्ते वास्तु पुरुषाय भूशय्या भिरत प्रभो | मद्गृहं धन धान्यादि समृद्धं कुरु सर्वदा ||
वास्तु दोष निवारण मंत्र
ॐ वास्तोष्पते प्रति जानीद्यस्मान स्वावेशो अनमी वो भवान यत्वे महे प्रतितन्नो जुषस्व शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्प्दे स्वाहा |
वास्तु दोष निवारण मंत्र -2
ॐ वास्तोष्पते प्रतरणो न एधि गयस्फानो गोभि रश्वे भिरिदो अजरासस्ते सख्ये स्याम पितेव पुत्रान्प्रतिन्नो जुषस्य शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्प्दे स्वाहा |
वास्तु दोष निवारण मंत्र -3
ॐ वास्तोष्पते शग्मया स र्ठ(ग्वग्) सदाते सक्षीम हिरण्यया गातु मन्धा । चहिक्षेम उतयोगे वरन्नो यूयं पातस्वस्तिभिः सदानः स्वाहा । अमि वहा वास्तोष्पते विश्वारूपाशया विशन् सखा सुशेव एधिन स्वाहा ।
वास्तु दोष निवारण मंत्र - 4
ॐ वास्तोष्पते ध्रुवास्थूणां सनं सौभ्या नां द्रप्सो भेत्ता पुरां शाश्वती ना मिन्क्षे मुनीनां सखा स्वाहा |
बाधानिवारक मंत्र
बाधानिवारक मंत्र
सर्वबाधा-प्रशमनं त्रैलोकस्याखिलेश्वरि । एवमेव त्वया कार्यस्मद्ववैरिविनाशनम् ।। ॐ नमश्चंडिकायै ।।
बाधानिवारक मंत्र - 2
ॐ हंसः हंसः |
बाधानिवारक मंत्र - 3
कालि कालि महाकालि, मनोऽस्तुत हन हन । दह दह शूलं त्रिशूलेन हुँ फट् स्वाहा ।।
राशि मंत्र
मेष राशि बीज मंत्र
ॐ ऎं क्लीं सौः |
वृषभ राशि बीज मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं |
मिथुन राशि बीज मंत्र
ॐ श्रीं ऎं सौः |
कर्क राशि बीज मंत्र
ॐ ऎं क्लीं श्रीं |
सिंह राशि बीज मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं सौः |
कन्या राशि बीज मंत्र
ॐ श्रीं ऎं सौः |
तुला राशि बीज मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं |
वृश्चिक राशि बीज मंत्र
ॐ ऎं क्लीं सौः |
धनु राशि बीज मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीं सौः |
मकर राशि बीज मंत्र
ॐ ऎं क्लीं ह्रीं श्रीं सौः |
कुम्भ राशि बीज मंत्र
ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्रीं |
मीन राशि बीज मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीं सौः |
मेष
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः ।।
वृषभ
ॐ गोपालाय उत्तरध्वजाय नमः ।।
मिथुन
ॐ क्लीं कृष्णाय नमः ।।
कर्क
ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरुपिणे नमः ।।
सिंह
ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराय नमः ।।
कन्या
ॐ नमः पीं पीताम्बराय नमः ।।
तुला
ॐ तत्वनिरञ्जनाय नमः ।।
वृश्चिक
ॐ नारायणाय सुरसिंघाय नमः ।।
धनु
ॐ श्रीं देवकृष्णाय उर्ध्वदन्ताय नमः ।।
मकर
ॐ श्रीं वत्सलाय नमः ।।
कुम्भ
ॐ श्रीं उपेन्द्राय अच्युताय नमः ।।
मीन
ॐ आं क्लीं उध्दृताय नमः ।।
नवग्रह मंत्र
सूर्य मंत्र
ॐ ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः ||
चंद्र मंत्र
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः ||
मंगल मंत्र
ॐ हूं श्रीं भौमाय नमः ||
बुध मंत्र
ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नमः ।।
बृहस्पति मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नमः ।।
शुक्र मंत्र
शनि मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः ||
राहु मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं राहवे नमः ||
केतु मंत्र
ॐ ह्रीं ऐं केतवे नमः||
वैदिक मंत्र क्या हैं?
मंत्र संस्कृत अक्षरों और शब्दों के संयोजन से बनी संरचनाएं हैं, जिनका सही उच्चारण करने पर एक शक्तिशाली ध्वनि ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा व्यक्ति के आध्यात्मिक और शारीरिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाती है। मंत्र का मूल सार 'बीज शब्द' कहलाता है, और इसके जप से उत्पन्न शक्ति को 'मंत्र शक्ति' कहा जाता है।
वैदिक ज्योतिष में, मंत्र, यंत्र और रत्न को किसी भी ज्योतिषीय समस्या के लिए तीन मुख्य उपायों के रूप में देखा जाता है। मंत्र जप को 'मंत्र योग' भी कहा जाता है, जो सांस और इंद्रियों के बीच तालमेल स्थापित करता है। यह जप एक व्यक्ति को ब्रह्मांडीय कंपन ऊर्जा के साथ जोड़ता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
मंत्र जप के लाभ
मंत्रों का नियमित जप जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में लाभकारी होता है। यह सिर्फ समस्याओं को दूर करने का एक तरीका नहीं है, बल्कि यह एक आत्म-सुधार का मार्ग भी है।
- सकारात्मकता का संचार: मंत्र जप करने से संबंधित देवी-देवताओं या ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है, जिससे नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
- मानसिक शांति: मंत्र जप से मन शांत होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और एकाग्रता में सुधार होता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: मंत्र की ध्वनि तरंगें तंत्रिकाओं को शांत करती हैं, रक्तचाप को सामान्य करती हैं और शरीर की विभिन्न प्रणालियों को संतुलित करती हैं।
- ग्रहों के दोषों का निवारण: मंत्रों का उपयोग शुभ ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने और अशुभ ग्रहों के हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए किया जाता है।
मंत्र जप कैसे करें?
मंत्रों की सफलता पूरी तरह से उसके प्रकार, उद्देश्य और जप की संख्या पर निर्भर करती है। मंत्रों का शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही ध्वनि ऊर्जा उत्पन्न करता है। जब किसी विशेष ग्रह के दोष को शांत करना हो, तो मंत्र का जप उस ग्रह के अनुसार एक विशिष्ट संख्या में किया जाता है।
मंत्रों को भक्ति और विश्वास के साथ करने से ही वांछित परिणाम प्राप्त होते हैं। यह आपके अवचेतन मन को सक्रिय करता है और आपको अपने लक्ष्यों की ओर निर्देशित करता है।
विभिन्न प्रकार के वैदिक मंत्र
यहाँ कुछ प्रमुख वैदिक मंत्र दिए गए हैं जिनका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है:
- गायत्री मंत्र: यह सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है जो ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाता है।
- लक्ष्मी मंत्र: धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए।
- महामृत्युंजय मंत्र: स्वास्थ्य, दीर्घायु और मृत्यु के भय को दूर करने के लिए।
- हनुमान मंत्र: साहस, शक्ति और सभी तरह के भय से मुक्ति के लिए।
- नवग्रह मंत्र: नौ ग्रहों के दोषों को शांत करने के लिए।
- शिव मंत्र: मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।
- राशि मंत्र: अपनी राशि के अनुसार ग्रहों के अनुकूल प्रभाव को बढ़ाने के लिए।
मंत्र एक शक्तिशाली उपकरण है जो आपके जीवन में सकारात्मकता ला सकता है। इसका नियमित अभ्यास करके आप अपने जीवन में मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर बदलाव ला सकते हैं।