मासिक पंचांग: पूरे माह का विस्तृत पंचांग देखें

मासिक पंचांग एक हिन्दू कैलेंडर है जिसमें पूरे महीने की ज्योतिषीय गणनाएं जैसे तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण का विवरण होता है। यह आपको महीने भर के व्रत-त्योहार, शुभ-अशुभ मुहूर्त और अन्य सभी ज्योतिषीय घटनाओं को जानने में मदद करता है।

मासिक पंचांग क्या है?

मासिक पंचांग या पंचांग एक प्रकार का हिन्दू कैलेंडर है, जो पूरे महीने के लिए वैदिक ज्योतिषीय गणनाओं का विवरण देता है। यह दैनिक पंचांग से अलग है क्योंकि जहां दैनिक पंचांग सिर्फ एक दिन का विवरण देता है, वहीं मासिक पंचांग में आपको पूरे माह में आने वाले प्रत्येक दिन का पूरा विवरण मिलता है। इसमें तिथि, नक्षत्र, लग्न, सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त जैसे महत्वपूर्ण समयों और स्थितियों की जानकारी शामिल होती है।

मासिक पंचांग की विशेषताएँ

मासिक पंचांग में दी गई जानकारी हमारे दैनिक जीवन और धार्मिक कार्यों के लिए बेहद जरूरी होती है। यह हमें सही समय पर सही कार्य करने में मदद करती है।

  • तिथि (Tithi): हिन्दू धर्म में सभी त्योहारों और धार्मिक कार्यों का निर्धारण तिथि के अनुसार ही होता है। मासिक पंचांग में हर दिन की तिथि के आरंभ और समाप्त होने का समय दर्शाया जाता है, जिससे पर्व और अनुष्ठान का निर्णय लेना आसान हो जाता है।
  • शुक्ल पक्ष/कृष्ण पक्ष: हर हिन्दू महीने को दो पक्षों, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, में बांटा गया है। मासिक पंचांग से आप यह जान सकते हैं कि कौन सी तिथियां किस पक्ष में आती हैं।
    • कृष्ण पक्ष: पूर्णिमा और अमावस्या के बीच की अवधि। इस दौरान चंद्रमा की कलाएं घटती हैं। इस पक्ष को अधिकतर शुभ कार्यों के लिए सही नहीं माना जाता है।
    • शुक्ल पक्ष: अमावस्या के बाद से पूर्णिमा तक की अवधि। इस समय चंद्रमा बलशाली होकर अपने पूर्ण आकार में आता है, इसलिए यह सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • नक्षत्र (Nakshatra): पंचांग की मदद से नक्षत्र की स्थिति के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। शुभ मुहूर्त का निर्धारण करने में नक्षत्रों का बड़ा महत्व है, क्योंकि हर शुभ कार्य को एक विशेष नक्षत्र में करने से उत्तम फल प्राप्त होते हैं।
  • प्रमुख व्रत और त्यौहार: मासिक पंचांग में उस महीने में आने वाले सभी प्रमुख व्रत और त्यौहारों की जानकारी सिलसिलेवार तरीके से दी जाती है। इनमें एकादशी, प्रदोष, मासिक शिवरात्रि, संकष्टी चतुर्थी जैसे व्रत और होली, दिवाली, रक्षाबंधन जैसे बड़े त्यौहार शामिल होते हैं।
  • पूर्णिमा/अमावस्या के दिन: वैदिक ज्योतिष में पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियों का विशेष महत्व है। मासिक पंचांग आपको इन महत्वपूर्ण तिथियों की जानकारी देता है, जिससे आप इनके अनुसार व्रत या धार्मिक अनुष्ठान की योजना बना सकते हैं।

पंचांग के 5 अंग

पंचांग का अर्थ ही 'पांच अंगों वाला' है। ये पांच तत्व मिलकर किसी भी दिन की ज्योतिषीय स्थिति को दर्शाते हैं।

  1. तिथि: एक चंद्र मास में कुल 30 तिथियाँ होती हैं। जब चंद्रमा 12 डिग्री पूरा करता है, तब एक तिथि पूरी होती है।
  2. वार (Vaar): यह एक सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक की अवधि होती है। ये कुल 7 होते हैं: रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार।
  3. योग (Yoga): सूर्य और चंद्रमा के मध्य बनने वाली विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। इनकी संख्या 27 है, और हर योग का अपना खास प्रभाव होता है।
  4. करण (Karan): यह एक तिथि का आधा हिस्सा होता है। करण कुल 11 होते हैं। विष्टि करण (जिसे भद्रा भी कहते हैं) को अशुभ माना जाता है और इसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते।
  5. नक्षत्र: आकाश में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्रों का वर्णन है, जो जन्म कुंडली और मुहूर्त आदि की गणना में महत्वपूर्ण होते हैं।

मासिक पंचांग में इन सभी अंगों का विवरण उपलब्ध होता है, जो इसे आपके दैनिक और धार्मिक जीवन के लिए एक अनिवार्य टूल बनाता है।

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