वेदिक व पौराणिक मंत्र — संकलन

गणेश, विष्णु, शिव, दुर्गा, गायत्री, नवग्रह व अन्य प्रमुख मंत्र — संक्षेप में परिचय व उपयोग।

टेबल ऑफ़ कंटेंट 1. गणेश मंत्र 2. कुबेर मंत्र 3. शिव मंत्र (महामृत्युंजय सहित) 4. राम मंत्र 5. कृष्ण मंत्र 6. हनुमान मंत्र 7. विष्णु मंत्र 8. नरसिंह मंत्र 9. परशुराम मंत्र 10. नवग्रह मंत्र 11. लक्ष्मी मंत्र / श्री सूक्त 12. गायत्री मंत्र 13. महाविद्या / महाशक्ति मंत्र 14. सरस्वती मंत्र 15. दुर्गा मंत्र 16. शांति-पाठ 17. दिवाली (लक्ष्मी-गणेश) 18. अक्षय तृतीया 19. नरसिंह गायत्री 20. अग्नि गायत्री 21. सूर्य मंत्र / आदित्य हृदय 22. चंद्र मंत्र 23. ग्रह बीज मंत्र (मंगल/शनि/बुध/गुरु/शुक्र) 24. महामृत्युंजय मंत्र 25. श्री सूक्त 26. रुद्र सूक्त / रुद्राष्टक 27. सुदर्शन मंत्र 28. काली मंत्र 29. तारा मंत्र 30. त्रिपुरसुंदरी मंत्र

गणेश मंत्र

गणेश जी को विघ्नहर्ता और शुभारम्भ के देवता माना जाता है। नए कार्य आरम्भ करने, बाधा निवारण तथा सामान्य सफलता हेतु गणेश मंत्रों का जप लाभकारी माना जाता है।

ॐ गं गणपतये नमः

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

उपयोग: सार्वजनिक कार्यों के पहले, परीक्षा/प्रोजेक्ट के आरम्भ पर या नया व्यवसाय शुरू करते समय जप कर सकते हैं। संख्यात्मक जप के रूप में 108 बार सामान्य है।

कुबेर मंत्र

कुबेर को धन-रक्षक माना जाता है। आर्थिक स्थिरता, व्यापारिक विकास और संपत्ति वृद्धि के लिए कुबेर मंत्र उपयोग में लाए जाते हैं।

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य समृद्धिं देहि देव

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं कूँ क्लीं शुक्राय नमः (कुबेर के कुछ संक्षिप्त बीज मंत्र)

ध्यान रखें — केवल मंत्र जप ही पर्याप्त नहीं; नैतिकता, परिश्रम और सही प्रशासन भी आवश्यक हैं।

शिव मंत्र (Mahamrityunjaya सहित)

शिव—महाकाल—को विनाश तथा पुनर्सर्जन का देवता कहा जाता है। शिव मंत्र भय, रोग तथा मानसिक व्यग्रता को शांत करने में सहायक माने जाते हैं।

ॐ नमः शिवाय

ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

महामृत्युंजय मंत्र स्वास्थ्य व दीर्घायु हेतु अत्यंत प्रचलित है। इसे सतर्कता और श्रद्धा से जपें—परम्परागत रूप से 108 बार जप लाभदायी माना जाता है।

राम मंत्र

राम नाम का जप मन में स्थिरता, करुणा व धर्मपरायणता लाता है। रामभक्ति से जीवन में अनुशासन और धैर्य आता है।

श्रीराम जय राम जय जय राम

राम रामाय नमः

रामचरितमानस के पाठ व रामानुजन की परम्परा कई क्षेत्रों में जीवन-मार्गदर्शक रही है।

कृष्ण मंत्र

कृष्ण जी को प्रेम, लीलात्मकता और भगवद्भक्ति का आदर्श माना जाता है। भक्तों के द्वारा किया गया महामंत्र बहुत प्रसिद्ध है।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे । हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे ।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

भक्ति-भाव से किया गया जप आंतरिक शांति और प्रेम-भाव जगाता है।

हनुमान मंत्र

हनुमान जी शक्ति, भक्ति और समर्पण के प्रतीक हैं। संकट निवारण व साहस हेतु इनके मन्त्र व पाठ अत्यंत लोकप्रिय हैं।

ॐ नमो हनुमते वायुपुत्राय

राम दूत अतुलित बलधामा अन्जनि-पुत्र पवनसुत नामा

हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण भी व्यापक रूप से पाठ किए जाते हैं—विशेषकर संकटमोचन के लिए।

विष्णु मंत्र

विष्णु पालनकर्ता देवता हैं—इनके मंत्र जीवन में सुरक्षा, सुशासन व कल्याण लाने में सहायक माने जाते हैं।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ विष्णवे नमः

विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कल्याणकारी व सुरक्षा-प्रद माना जाता है।

नरसिंह मंत्र

नरसिंह रूप भगवान विष्णु का संकट-नाशक अवतार है। विशेषकर भय, अत्याचार और आध्यात्मिक आक्रमण से रक्षा हेतु इनके मन्त्र उपयोगी हैं।

ॐ नमो नारसिंहाय

नरसिंह स्तोत्र और नारसिंह गायत्री का जप सुरक्षा हेतु सदियों से किया जाता रहा है।

परशुराम मंत्र

परशुराम जो कि विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं—कत्र्तव्य-बोध और संपत्ति कार्यों में दृढ़ता हेतु इनके स्मरण का स्थान है।

ॐ परशुरामाय नमः

योद्धा-संरक्षण और धर्म-स्थापना हेतु परशुराम की वंदना की जाती है।

नवग्रह—सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि, राहु और केतु—प्रत्येक ग्रह का प्रभाव जीवन पर पड़ता है। नीचे ग्रहों के सरल बीज/संक्षिप्त मंत्र दिए जा रहे हैं।

ॐ सूर्याय नमः (सूर्य)

ॐ सोमाय नमः (चन्द्र)

ॐ मंगलाय नमः (मंगल)

ॐ बुधाय नमः (बुध)

ॐ गुरवे नमः (गुरु)

ॐ शुक्राय नमः (शुक्र)

ॐ शनैश्चराय नमः (शनि)

ॐ राहवे नमः (राहु)

ॐ केतवे नमः (केतु)

ग्रहदोष निवारण हेतु उपयुक्त यज्ञ, दान और मन्त्र-विधि का निर्देश ज्योतिष/पण्डित से लेना बेहतर रहता है।

लक्ष्मी मंत्र / श्री सूक्त (संक्षेप)

लक्ष्मी माता समृद्धि व वैभव की देवी हैं। श्री सूक्त का पाठ समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए जा रहे हैं।

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये नमः

ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

यदि आप पूरा श्री सूक्त जोड़ना चाहें तो मैं वह भी शामिल कर दूँ — पर वह लंबा श्लोक है (सामान्यतः 15-20 श्लोक)।

गायत्री मंत्र

गायत्री मन्त्र ज्ञान और बुद्धि की वृद्धि हेतु सर्वाधिक पूजनीय है। प्रातःकालनियमित गायत्री जप का महत्त्व विशेष है।

ॐ भूर् भुवः स्वः । तัท् सवितुर्वरेण्यम् । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

गायत्री मंत्र का जप गुरु-परम्परा से और सम्यक् उच्चारण के साथ करना वांछनीय माना जाता है।

महाविद्या / महाशक्ति मंत्र (संक्षेप)

महाविद्याएँ शक्ति के नौ रूप हैं—ये तांत्रिक परम्परा में महत्वपूर्ण हैं। इन मंत्रों को गुरु-परम्परा और सतर्क मार्गदर्शन के साथ ही जपना चाहिए।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे (चामुण्डा सम्बंधी उदाहरण)

महाविद्या मंत्र गूढ़ होते हैं; बिना योग्य मार्गदर्शक के जप न करें।

सरस्वती मंत्र

ज्ञान, कला व वाणी की देवी सरस्वती के मंत्र विद्यार्थियों, वक्ताओं और कलाकारों में लोकप्रिय हैं।

ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः

या कुन्देन्दु... (सरस्वती वंदना संक्षेप)

परीक्षाओं के पूर्व या किसी भाषण/प्रस्तुति से पहले सरस्वती मंत्र का स्मरण लाभकारी माना जाता है।

दुर्गा मंत्र

दुर्गा—नारियों की शक्ति—संकटनाशक और सुरक्षा-प्रद देवी हैं। नवरात्रि में दुर्गा मंत्र व पाठ का विशेष महत्व है।

ॐ दुर्गायै नमः

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यधिक कल्याणकारी माना गया है।

शांति-पाठ (Shanti Path)

समुहिक एवं व्यक्तिगत आराधना में शांति हेतु शांति-पाठ पढ़ा जाता है—यह समग्र वातावरण और मन दोनों को शांत करने में सहायक माना जाता है।

ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः (त्रिवार शांति)

शांति-पाठ सामूहिक कार्यक्रमों, विद्यालयों और आराधना में नियमित रूप से उच्चारित किया जाता है।

दिवाली — लक्ष्मी एवं गणेश (विशेष)

दिवाली पर सौभाग्य व धन के लिए लक्ष्मी व गणेश की पूजा प्रमुख होती है।

लक्ष्मी: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये नमः

गणेश: ॐ गं गणपतये नमः

घर की सफाई, दीप-प्रकाश और सादगी के साथ ये मंत्र किए जाते हैं—परम्परागत विधि के अनुसार।

अक्षय तृतीया (विशेष मंत्र / शुभता)

अक्षय तृतीया को शुभ और अक्षय (नित्य) लाभ का दिन माना जाता है। इस दिन दान, स्वरूप और मंत्राध्यान का विशेष महत्व होता है।

ॐ श्रीं नमः (स्थानीय रीति के अनुसार)

इस दिन किए गए दान व कर्म के फल दीर्घकालिक फलदायी माने जाते हैं।

नरसिंह गायत्री मंत्र

नरसिंह गायत्री विशेष रूप से सुरक्षा और संकटमोचन के लिए प्रयुक्त होती है।

ॐ आदित्यवर्णाय विद्महे महावत्प्रभाय धीमहि तन्नो नरसिंहः प्रचोदयात्

गायत्री स्वरूप होने के कारण इसे विधिवत् जपने से बुद्धि व सुरक्षा दोनों का लाभ माना जाता है।

अग्नि गायत्री मंत्र

अग्नि देवता के लिए गायत्री—हवन, यज्ञ व संस्कारों में इसका उच्चारण सामान्य है।

ॐ अग्ने वर्धमानाय विद्महे अग्निदेवाय धीमहि तन्नो अग्निः प्रचोदयात्

यज्ञों में अग्नि का केन्द्रबिन्दु होने से यह मंत्र अति महत्वपूर्ण है।

सूर्य मंत्र / आदित्य हृदय

सूर्य स्वास्थ्य, आत्म-विश्वास और जीवन-ऊर्जा के स्रोत हैं। आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य को स्मारित करता है और ऊर्जा-पुनरुद्धार में सहायक माना जाता है।

ॐ भानवे नमः

आदित्य हृदय स्तोत्र (संक्षेप में): "संध्या पाठ एवं विशेष स्तोत्र" — (पूरा पाठ लंबा है; यदि चाहें मैं जोड़ दूँ)।

सूर्य-स्नान के बाद आदित्य हृदय का पाठ पारंपरिक रूप से किया जाता है।

चंद्र मंत्र

चंद्रमा मानसिक शान्ति, भावनात्मक संतुलन और मस्तिष्क से जुड़ा ग्रह माना जाता है। चंद्र मंत्र भावुकता को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।

ॐ सोमाय नमः

चंद्र दोष के समय शुद्ध आहार और शान्त साधनाओं का पालन करने की सलाह दी जाती है।

ग्रह बीज मंत्र (मुख्य)

ग्रहों के छोटे—पर प्रभावशाली—बीज मंत्र अनेक ज्योतिषीय अनुष्ठानों में प्रयुक्त होते हैं।

मंगल बीज: ॐ क्रां क्रौं क्रौं सः भौमाय नमः

बुध बीज: ॐ ब्रीं बुधाय नमः

गुरु बीज: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः गुरवे नमः

शुक्र बीज: ॐ द्रौं द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

शनि बीज: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

बीज मंत्र छोटे होते हुए भी गहन प्रभाव रखते हैं—इनका प्रयोग ज्योतिष सलाह के बाद ही करें।

महामृत्युंजय मंत्र (विस्तृत)

महामृत्युंजय मंत्र रोग-निवारण और लम्बी आयु हेतु अत्यधिक प्रतिष्ठित मंत्र है।

ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

रोग-शान्ति तथा मृत्युविनाश के लिए यह मंत्र पारम्परिक रूप से सबसे प्रभावशाली माना जाता है।

श्री सूक्त (संक्षेप / परिचय)

श्री सूक्त लक्ष्मी स्तुति का समूह है और संपत्ति व वैभव की प्राप्ति हेतु पाठ किया जाता है। यह कई श्लोकों का समूह है—यदि आप पूरा पाठ चाहते हैं तो शामिल कर सकता हूँ।

श्री सूक्त का पूर्ण पाठ लंबा है (दश-बीस श्लोक); इसे नियमित पढ़ने पर समृद्धि का आह्वान माना जाता है।

रुद्र सूक्त / रुद्राष्टक

रुद्र-सूक्त और रुद्राष्टक शिव-रूप के प्रशंसा स्तोत्र हैं—रुद्र की स्तुति से बाधा-क्षय और शुद्धि की कामना की जाती है।

ॐ नमो रुद्राय (रुद्राष्टक विषयक संक्षेप)

यदि आप चाहें तो मैं रुद्राष्टक का पूरा पाठ (8 श्लोक) यहां जोड़ दूँ।

सुदर्शन मंत्र

सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अस्त्र है—सुदर्शन मंत्र विशेषकर रक्षा व शत्रु नाश हेतु उपयोग में लाए जाते हैं।

ॐ सुदर्शनाय नमः (संक्षेप)

सुदर्शन मंत्र तंत्र/वैदिक अनुष्ठान पर निर्भर करता है—सतर्क मार्गदर्शन आवश्यक।

काली मंत्र

काली माता तंत्र व शक्ति परम्परा में शासन करती हैं—वे भय निवारण, परिवर्तन तथा गहन आध्यात्मिक क्रिया के लिये पूजी जाती हैं।

ॐ क्रीं काली क्रीं नमः (संक्षेप)

काली मंत्रों के साथ विशेष सतर्कता व योग्य गुरु की परामर्श आवश्यक है।

तारा मंत्र

तारा (बौद्ध व हिन्दू परम्परा में) करुणा व ज्ञान की देवी हैं। तारा मंत्र ध्यान व सुरक्षा हेतु प्रयुक्त होते हैं।

ॐ तारे तुत्तारे तुरे स्वाहा

तारा मंत्र विशेषकर तांत्रिक व ध्यान परम्पराओं में उपयोगी माना जाता है।

त्रिपुरसुंदरी मंत्र

त्रिपुरसुंदरी तंत्र परम्परा की आराध्य देवी हैं—वह सौंदर्य, शक्ति और उच्च आध्यात्मिक साधना का प्रतीक हैं।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कामलिनी या त्रिपुरसुंदरी मन्त्र (संक्षेप)

त्रिपुरसुंदरी मंत्र भी गूढ़ साधना श्रेणी में आते हैं—गुरु निर्देशन आवश्यक।

आज का ज्योतिषीय विचार

“भाग्य वही खिलता है जो कर्म और ग्रहों के संतुलन से पोषित हो।”

— ऋषि अंगिरस