पूर्णिमा: हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण तिथि
पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस दिन आकाश में चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है। भारतीय संस्कृति में हर पूर्णिमा का अपना एक अलग महत्व होता है, और इस दिन कोई न कोई व्रत या त्यौहार अवश्य मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा का दिन दान, धर्म और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
पूर्णिमा का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
- धार्मिक महत्व: पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा और पूजा करने का विशेष विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को सुख और मानसिक शांति मिलती है। कार्तिक, वैशाख और माघ महीने की पूर्णिमा को तीर्थ स्थानों पर स्नान और दान करना बहुत शुभ माना गया है।
- वैज्ञानिक महत्व: ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। पूर्णिमा के दिन जब चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है, तो इसका सीधा असर मनुष्य के मन पर पड़ता है। वैज्ञानिक रूप से, चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल पानी को अपनी ओर आकर्षित करता है, और चूंकि मानव शरीर में लगभग 70% पानी होता है, इसलिए पूर्णिमा का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव पर भी देखा जाता है।
पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
पूर्णिमा का व्रत और पूजा बहुत ही श्रद्धा के साथ की जाती है।
- स्नान: इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं। ऐसा करने से पिछले पापों से मुक्ति मिलती है।
- पूजा: भगवान विष्णु और शिव की पूजा का विशेष विधान है। कई श्रद्धालु बिना कुछ खाए-पिए उपवास भी रखते हैं, जो चंद्र दर्शन के बाद समाप्त होता है।
- दान: पूर्णिमा के दिन दान-धर्म का बहुत महत्व है। इस दिन पितरों का तर्पण (जल दान) करना भी शुभ माना गया है।
2025 में आने वाली पूर्णिमा की तिथियां
साल के 12 महीनों में कुल 12 पूर्णिमाएं होती हैं, जिनमें हर पूर्णिमा का अपना अलग नाम और महत्व होता है। एस्ट्रोसेज पर आपको इस साल में आने वाली हर एक पूर्णिमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। यहां आप पूजा का सही समय, महत्व और विधि जान सकते हैं, ताकि आपका व्रत सफल हो सके।