राहु काल (Rahu Kaal) – आज का समय, महत्व और गणना विधि

राहु काल, जिसे राहुकाल भी कहा जाता है, भारतीय वैदिक पंचांग में एक विशेष समयावधि है। इसे अशुभ समय माना जाता है और इस दौरान नए कार्यों की शुरुआत से बचने की सलाह दी जाती है। राहु काल हर दिन और हर स्थान के अनुसार बदलता है।

राहु काल (चयनित दिन)

तिथि: 19 सितंबर 2025
सूर्योदय: 06:06:58
सूर्यास्त: 18:22:53
राहु काल: 10:42:56 से 12:14:55 तक
अवधि: 00 घंटे 00 मिनट

अगले 7 दिनों का राहु काल

तिथि आरम्भ समाप्ति
20 सितंबर 2025 09:11:00 10:42:46
21 सितंबर 2025 16:48:54 18:20:27
22 सितंबर 2025 07:39:48 09:11:09
23 सितंबर 2025 15:15:47 16:46:55
24 सितंबर 2025 12:13:09 13:44:04
25 सितंबर 2025 13:43:31 15:14:13
26 सितंबर 2025 10:41:57 12:12:27

आज का ज्योतिषीय विचार

“कर्म और ग्रह दोनों जीवन को गढ़ते हैं।”

— पंडित जगन्नाथ

राहु काल (Rahu Kaal) क्या है?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु एक अशुभ ग्रह माना गया है। दिन के आठ खंडों में से एक समय अवधि राहु काल कहलाती है। इस अवधि में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आरंभ करना, वाहन या संपत्ति खरीदना आदि करने से बचना चाहिए।

राहुकाल का महत्व

राहुकाल को अशुभ काल माना जाता है। इस समय शुभ ग्रहों के लिए किए जाने वाले पूजन, हवन और यज्ञ भी राहु के प्रभाव से प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि राहु से संबंधित कार्य जैसे राहु पूजा या हवन राहु काल में किए जा सकते हैं।

राहुकाल की गणना कैसे होती है?

राहुकाल प्रतिदिन बदलता है और यह सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर निकाला जाता है। सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के समय को आठ भागों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक भाग लगभग डेढ़ घंटे का होता है। सप्ताह के हर दिन राहु काल अलग-अलग खंड में आता है:

  • सोमवार: दूसरा खंड (सुबह 7:30 से 9:00)
  • मंगलवार: सातवां खंड (दोपहर 3:00 से 4:30)
  • बुधवार: पाँचवां खंड (12:00 से 1:30)
  • गुरुवार: छठा खंड (1:30 से 3:00)
  • शुक्रवार: चौथा खंड (10:30 से 12:00)
  • शनिवार: तीसरा खंड (9:00 से 10:30)
  • रविवार: आठवां खंड (4:30 से 6:00)

राहुकाल क्यों देखा जाता है?

हिंदू संस्कृति और वैदिक ज्योतिष में किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए शुभ समय का महत्व है। राहुकाल की अवधि में नए कार्यों से बचना चाहिए ताकि अशुभ परिणाम न हों। हालांकि पहले से चल रहे कार्य इस दौरान जारी रखे जा सकते हैं।

निष्कर्ष

राहु काल हर दिन और हर स्थान के अनुसार बदलता है। इसलिए इसे रोजाना देखना आवश्यक है। शुभ कार्यों के लिए राहुकाल को टालना चाहिए और केवल राहु से संबंधित पूजा-पाठ इसी अवधि में करना श्रेष्ठ माना जाता है।

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