मांगलिक दोष कैलकुलेटर: जानें क्या आप मांगलिक हैं?

क्या आप इस बात से चिंतित हैं कि कहीं आप मांगलिक तो नहीं हैं? मांगलिक दोष को विवाह में बाधा और वैवाहिक जीवन में समस्याओं का कारण माना जाता है। इस दोष की वजह से लोग अक्सर तनाव में रहते हैं। पर चिंता मत करिए! हमारे मांगलिक दोष कैलकुलेटर के जरिए आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि आपकी कुंडली में मंगल दोष है या नहीं। यह टूल न सिर्फ आपको आपकी मांगलिक स्थिति बताएगा, बल्कि मंगल दोष के प्रभाव और उसके निवारण के उपाय भी सुझाएगा।

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आज का ज्योतिषीय विचार

“भाग्य वही खिलता है जो कर्म और ग्रहों के संतुलन से पोषित हो।”

— ऋषि अंगिरस

वैदिक ज्योतिष में, मंगल दोष को विवाह के लिए एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। एक धारणा के अनुसार, मांगलिक व्यक्ति का विवाह गैर-मांगलिक से होने पर जीवन में कई परेशानियां आ सकती हैं। मंगल दोष से जुड़े कई मिथक भी हैं, जैसे कि यह केवल विवाह में ही समस्या लाता है या केवल मंगलवार को जन्मे लोग ही मांगलिक होते हैं। यह सब सच नहीं है।

मांगलिक दोष वास्तव में एक ज्योतिषीय स्थिति है, जिसमें मंगल ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कुछ विशेष स्थानों पर स्थित होता है। आइए इस दोष को विस्तार से समझें।


मंगल दोष या कुज दोष क्या है?

जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह पहले (लग्न), चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो उसे मांगलिक कहा जाता है। इन भावों में मंगल की स्थिति को शुभ नहीं माना जाता, क्योंकि यह वैवाहिक और पारिवारिक जीवन में संघर्ष और तनाव का कारण बन सकता है।

उदाहरण के लिए:

  • पहला भाव (लग्न): पहले भाव में मंगल व्यक्ति के स्वभाव को आक्रामक बना सकता है, जिससे वैवाहिक जीवन में संघर्ष हो सकता है।
  • चौथा भाव: यह पारिवारिक जीवन में तनाव पैदा कर सकता है।
  • सातवां भाव: यह साझेदारी और वैवाहिक संबंधों में कठोरता लाता है।
  • आठवां भाव: यह पैतृक संपत्ति के नुकसान और आयु पर प्रभाव डाल सकता है।
  • बारहवां भाव: यह मानसिक तनाव और खर्चों में वृद्धि का कारण बन सकता है।

हालांकि, यदि वर और वधू दोनों की कुंडली में मंगल दोष समान तीव्रता का हो, तो इसे दोष का निवारण माना जाता है।


मांगलिक दोष के प्रकार

ज्योतिष के अनुसार, मंगल दोष के दो मुख्य प्रकार होते हैं:

1. उच्च मंगल दोष (High Mangal Dosha)

यदि मंगल ग्रह जन्म कुंडली, शुक्र कुंडली और चंद्र कुंडली तीनों में से किसी भी एक या सभी में पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो इसे उच्च मांगलिक दोष माना जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को जीवन में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

2. निम्न मंगल दोष (Low Mangal Dosha)

यदि मंगल ग्रह इन तीनों में से किसी एक कुंडली में भी पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो इसे निम्न मांगलिक दोष या आंशिक मांगलिक माना जाता है। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार, यह दोष 28 साल की उम्र के बाद अपने आप कम हो जाता है।


मांगलिक दोष के निवारण और उपाय

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष पाया जाता है, तो इसके निवारण के लिए कई उपाय बताए गए हैं। हालांकि, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले एक अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेना बेहद जरूरी है।

  • हनुमान जी की पूजा: मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने और हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगल के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
  • विवाह से पहले कुंभ विवाह: यदि कोई मांगलिक कन्या किसी गैर-मांगलिक वर से विवाह कर रही है, तो दोष के निवारण के लिए उसे पहले किसी पीपल या घट वृक्ष से प्रतीकात्मक विवाह करना चाहिए।
  • व्रत और पूजा: वट सावित्री और मंगला गौरी का व्रत भी मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करने में सहायक है।
  • मंत्र जाप: महामृत्युंजय मंत्र का जाप और मंगल ग्रह की शांति पूजा भी लाभकारी होती है।
  • लाल वस्तुएं दान करें: मंगलवार को लाल मसूर की दाल, लाल वस्त्र, या मिठाई दान करने से भी मंगल दोष शांत होता है।
  • रत्न धारण करें: अनुभवी ज्योतिषी की सलाह पर मूंगा रत्न धारण करने से भी मंगल के सकारात्मक प्रभाव बढ़ सकते हैं।

ध्यान रखें कि कोई भी उपाय बिना विशेषज्ञ की सलाह के न करें। ज्योतिषीय गणनाएं और उपाय व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करते हैं।

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