संक्रांति क्या है?
हिन्दू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है। यह एक ऐसी खगोलीय घटना है जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है। सूर्य हर महीने अपना स्थान बदलता है, और इस प्रक्रिया को ही संक्रांति कहते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, पूरे साल में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं, और हर संक्रांति का अपना अलग ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व होता है।
संक्रांति का महत्व
संक्रांति के दिन को बेहद पवित्र और पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन स्नान, दान, और पितृ तर्पण का बहुत महत्व है। भारत के कई राज्यों में इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
- यह पर्व कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन से जुड़ा है।
- संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है, क्योंकि सूर्य को ही सभी भौतिक और अभौतिक तत्वों की आत्मा माना गया है।
- संक्रांति पर गंगा स्नान को महापुण्यदायक माना जाता है।
कुछ महत्वपूर्ण संक्रांतियां
वैसे तो सभी 12 राशियों में सूर्य का गोचर शुभ होता है, लेकिन कुछ संक्रांतियों को बेहद खास माना गया है।
- मकर संक्रांति: जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। यह भारत का एक प्रमुख पर्व है जो हर साल जनवरी में मनाया जाता है। इसे कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अपनी यात्रा शुरू करता है।
- मेष संक्रांति: इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। यह हिंदू सौर कैलेंडर में नए साल की शुरुआत मानी जाती है और आमतौर पर 14 या 15 अप्रैल को मनाई जाती है।
- मिथुन संक्रांति: इसे राजा पारबा या अंबुबाची मेला के नाम से भी जाना जाता है। यह माता पृथ्वी के वार्षिक मासिक धर्म चरण के रूप में मनाया जाता है।
- कर्क संक्रांति: इस दिन सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है। यह छह महीने के उत्तरायण काल का अंत और दक्षिणायन की शुरुआत का प्रतीक है, जो मकर संक्रांति पर समाप्त होता है।
संक्रांति के दिन क्या करें?
धार्मिक ग्रंथों में संक्रांति पर व्रत और पूजा का विशेष उल्लेख है:
- व्रत: संक्रांति के एक दिन पहले केवल एक बार भोजन करें।
- स्नान: संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, जिसमें पानी में तिल मिलाया जा सकता है।
- दान: स्नान के बाद ब्राह्मणों को अनाज, फल या अन्य वस्तुएं दान करें।
- भोजन: इस दिन बिना तेल का भोजन करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
- गंगा स्नान: गंगा, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
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