शुभ चौघड़िया : महत्व, प्रकार और उपयोग

चौघड़िया वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका उपयोग शुभ कार्यों के लिए उचित समय निर्धारित करने में किया जाता है। इसमें दिन और रात को आठ-आठ हिस्सों में बांटा जाता है जिन्हें चौघड़िया कहते हैं। इनमें अमृत, शुभ, लाभ और चर चौघड़िया को शुभ माना जाता है जबकि काल, रोग और उद्वेग को अशुभ माना जाता है।

गुरुवार, नवंबर 06, 2025

दिन का चौघड़िया
सूर्योदय - 06:41 AM#
शुभ वार वेला ०६:४१ ०८:०२
रोग ०८:०२ ०९:२२
उद्बेग ०९:२२ १०:४३
चर १०:४३ १२:०४
लाभ १२:०४ १३:२५
अमृत १३:२५ १४:४६
काल काल वेला १४:४६ १६:०७
शुभ वार वेला १६:०७ १७:२८
रात का चौघड़िया
सूर्यास्त : 05:28 PM#
अमृत १७:२८ १९:०७
चर १९:०७ २०:४६
रोग २०:४६ २२:२५
काल २२:२५ ००:०५ *
लाभ काल रात्रि ००:०५ ०१:४४ *
उद्बेग ०१:४४ ०३:२३ *
शुभ ०३:२३ ०५:०२ *
अमृत ०५:०२ ०६:४१ *
सबसे शुभ
अच्छा
अशुभ
अशुभ

आज का ज्योतिषीय विचार

“भाग्य वही खिलता है जो कर्म और ग्रहों के संतुलन से पोषित हो।”

— ऋषि अंगिरस

चौघड़िया क्या है?

चौघड़िया हिंदू पंचांग का एक पारंपरिक हिस्सा है जिसका उपयोग शुभ और अशुभ समय जानने के लिए किया जाता है। प्रत्येक दिन को सूर्यास्त और सूर्योदय के आधार पर दो हिस्सों में बाँटकर आठ-आठ खंडों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक खंड को चौघड़िया कहा जाता है।

चौघड़िया के प्रकार

  • अमृत चौघड़िया: सबसे शुभ समय, किसी भी कार्य के लिए उत्तम।
  • शुभ चौघड़िया: विवाह, पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ।
  • लाभ चौघड़िया: शिक्षा, व्यापार और नई शुरुआत के लिए उत्तम।
  • चर चौघड़िया: यात्रा और स्थान परिवर्तन के लिए उपयुक्त।
  • काल चौघड़िया: अशुभ समय, शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
  • रोग चौघड़िया: अशुभ माना जाता है, परंतु युद्ध या प्रतिद्वंदी पर विजय के लिए उपयोगी।
  • उद्वेग चौघड़िया: सामान्यतः अशुभ, लेकिन सरकारी कार्यों के लिए उचित।

चौघड़िया की गणना

दिनमान (सूर्योदय से सूर्यास्त) और रात्रि (सूर्यास्त से सूर्योदय) को आठ बराबर हिस्सों में बाँटा जाता है। प्रत्येक चौघड़िया लगभग 1.5 घंटे का होता है। प्रत्येक दिन का पहला चौघड़िया उस दिन के ग्रह स्वामी पर आधारित होता है।

चौघड़िया का महत्व

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, पूजा, यात्रा या व्यापार प्रारंभ करने से पहले चौघड़िया देखा जाता है। अमृत, शुभ, लाभ और चर चौघड़िया को शुभ माना जाता है जबकि काल, रोग और उद्वेग को अशुभ माना जाता है।

वार वेला, काल वेला और काल रात्रि

ज्योतिष के अनुसार वार वेला, काल वेला और काल रात्रि के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। यह समय अशुभ माना जाता है और इससे परहेज करना चाहिए।

निष्कर्ष

शुभ चौघड़िया वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो हमें जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सही समय चुनने में मार्गदर्शन देता है। सही चौघड़िया चुनने से सफलता और शुभ फल प्राप्त होते हैं।

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