प्रविष्टे/गते (Pravishte/Gate) हिंदू पंचांग का एक अभिन्न अंग होता है, लेकिन बहुत से लोगों को इसके महत्व के बारे में सही जानकारी नहीं होती। हिंदू पंचांग में प्रविष्टे/गते का विशेष स्थान है क्योंकि यह बताता है कि सूर्य किसी राशि में कितने दिन व्यतीत कर चुका है और कब अगली राशि में प्रवेश करेगा। इस पेज पर हम आपको आज के प्रविष्टे/गते से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
प्रविष्टे/गते की गणना कैसे की जाती है?
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी महीने की 14 तारीख को सूर्य का गोचर होता है। इसके बाद अगर हम 28 तारीख को प्रविष्टे या गते की गणना करेंगे तो 28 तारीख का यह 15 होगा। सूर्य एक राशि में लगभग 30 दिनों की अवधि तक रहता है और प्रतिदिन लगभग 1 डिग्री का भ्रमण करता है। सूर्य की यही गति गते कहलाती है।
प्रविष्टे/गते का महत्व
हिंदू पंचांग कई महत्वपूर्ण तत्वों से मिलकर बना है। उनमें से ही एक प्रमुख तत्व है प्रविष्टे/गते। इसका सीधा अर्थ है: जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाता है तो मौजूदा राशि में उसने कितने दिन व्यतीत किए हैं, इसे ही प्रविष्टे/गते कहते हैं।
प्रविष्टे क्यों महत्वपूर्ण है?
हिंदू पंचांग का मुख्य आधार सूर्य और चंद्र हैं। प्रविष्टे अथवा गते की जानकारी से हमें यह पता चलता है कि सूर्य एक राशि में कितने दिन बिता चुका है और अब अगली राशि में कब प्रवेश करेगा। सूर्य संक्रांति के विषय में जानने का यह एक महत्वपूर्ण साधन है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. आज कितने गते हैं, कैसे पता करें?
सूर्य के आखिरी गोचर से आज की तारीख तक की गणना करके आज के गते का निर्धारण किया जाता है।
2. क्या शुभ मुहूर्त जानने के लिए प्रविष्टे देखना ज़रूरी है?
नहीं। शुभ मुहूर्त की जानकारी के लिए प्रविष्टे देखना आवश्यक नहीं है।
3. प्रविष्टे की गणना से क्या पता चलता है?
प्रविष्टे की गणना से सूर्य संक्रांति के समय, और सूर्य एक राशि में कितना समय व्यतीत कर चुका है, इसकी जानकारी मिलती है।